Thursday, August 20, 2009

日本での経験

日本語が出来る皆様初めまして

私はサッチダナンドと申します。出身はインドのワラナシで、首都デリーにあるネール大学で日本語を専攻して、学部を卒業しました。今は同じ大学で日本文学を専攻して修士課程の勉強をしています。

私は中学校と高校のとき歴史で日本のことを勉強しました。第二次世界大戦で日本は全体的に壊滅しました。しかし真面目な日本人は一生懸命にに頑張って、また発展することができました。それだけでなく、現在日本の技術は世界中に人気があります。

私は日本に行っていろいろな新しいことを体験しました。例えば、現在インドではゴミ処理の問題は大変になっています。私は来日して、日本のゴミ処理とリサイクル技術を見て驚きました。日本のゴミ処理システムは素晴らしいと思います。そして面白いことに、日本人は基本的にポイ捨てが嫌いです。また道端のゴミ箱もちゃんと分別して置いてあるのでとても便利です。

私はベジタリアンでしたので、来日した時、料理は大きな問題でした。しかし、幸い親切な日本人とホストファミリにあって大変助かりました。日本人の食生活はとてもいいので長生きをするとよくいわれます。しかし、日本の大体の食事の中に肉が入っているのでインド人にとってとても問題です。日本では外食する時、本当に大変です。あるレストランに行って、聞いて見るとスープまでにも豚肉が入っていました。日本人は「ベジタリアン」

という言葉の意味はあまり知りません。多分、昔は日本でもベジタリアンの人々がいましたが、第二次世界大戦後は西洋文化が普及になってもうなくなりました。

日本人の性格について話すと日本人は親切で、協調性があります。一度私は日本人に日本語で、自販機の使い方を聞くと、その方は英語で教えてくれましたのでとても助かりました。そして時間に対して話すと日本の従業員は絶対に時間を守りますが、日本の大学生達の場合は時間を大切しない人も最近は見られます。でも数は少ないです。外国では時間に対して、インド人のイメージは悪いです。インド人はあまり時間を守らないと外国人は考えます。確かにそれはそうだと思います。私達は時間に対して自分の考え方を変えなければなりません。

日本の電車は何か大きな問題がない時は、いつも時間通りに連行しますが、インドは鉄道網が混雑しているので10分から一時間ぐらい遅れるのは当たり前のことではないでしょうか。事故があった場合は遠距離電車は5時間から8時間ぐらい遅れることもあります。それはいつ変わるか。なんとも言えない。

私のブログを読んで頂いて有難うございました……………………………..

Monday, February 9, 2009

सर्वेभ्यो नमः....सभी को नमस्कार....

र्वेभ्यो नमः....सभी को नमस्कार....

विगत वर्ष के अंतिम दिवस को यहां मैंने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी, उसके बाद पाणिनि बाबा के "अदर्शनं लोपः" सूत्र का प्रभाव हो गया था. आज सुबह कार्यालय आने के बाद हर दिन की तरह सबसे पहला काम "जीमेल को खोलना" किया तो लगभग तेरह के करीब अपठित मेल दिखे, जिसमें तीसरा मेल किसी राहुल जी का था, जिन्होंने यह मेल "आर्य युवक समूह" को भेजा था, जिसका मैं भी (चाहे/अनचाहे- इस शब्द का प्रयोग इसलिए कर रहा हूं कि शुरु में जब इस ग्रुप से मेल आने शुरु हुए तो वो मेरी मर्जी के बिना ही आते थे अर्थात्‌ मैं कभी भी इनका मेंबर नहीं बना था, लेकिन शनैः-शनैः इनके इ-संदेशों में रुचि जागृत होने लगी) एक सदस्य हूं. अस्तु, इस इ-मेल की सामग्री मुझे रोचक लगी तो सोचा कि इसका हिंदी अनुवाद करके अपने ब्लॉग को भी थोड़ा अद्यतन कर दिया जाये. नीचे प्रस्तुत है उसी इ-मेल का अनुवाद.....

एक अमेरिकी भारत-भ्रमण करने के बाद जब वापस अमेरिका पहुंचा तो वहां पर उसके भारतीय मूल के मित्र ने उससे पूछा- "मेरा देश तुम्हे कैसा लगा?"

अमेरिकी ने कहा- "वाकई एक अद्भुत और महान देश!! जिसका अपना एक ठोस इतिहास व गौरवशाली परंपरा है, साथ ही जो प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है."

तब भारतीय मित्र ने पूछा- "तुम्हे भारतीय कैसे लगे??"

भारतीय??
कौन है भारतीय???
मैंने पूरे भारतवर्ष में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं पाया जो भारतीय हो.....

क्या बक रहे हो !!
तब भारत में जिन लोगों को तुमने देखा, वो कौन थे??

अमेरिकी ने कहा-
कश्मीर में मिला एक कश्मीरी से.
पंजाबी मिले मुझे पंजाब में.
आमची महाराष्ट्र बोल रहे थे मराठी मानुस.
बिहार, बंगाल, कर्नाटक में मिला मैं, बिहारी, बंगाली और कन्नडिगा से....

थोड़ा और पूछने पर,
पाया मैंने,
एक मुसलमान,
एक ईसाई,
एक जैन,
एक बौद्ध,
इसके अलावे और भी ना जाने कितने....

लेकिन नहीं मिला तो सिर्फ एक भारतीय से :(


(साभार:- दिवाकरस्य वार्त्ताः http://diwakarmani.blogspot.com/2009/02/blog-post.html) Reply

Sunday, November 16, 2008

भारत का गौरव हिमालय

भारत का गौरव हिमालय
हिमालय हमारा है। यह भारतीय राष्ट्र का गौरव है। यह हमारे देश का अभिन्न अंग है। भूटान से लेकर कश्मीर तक की संपूर्ण उत्तरी सीमा पर हिमालय फैला हु‌आ है। भारत बिहार के कुछ गांवों से हिमालय की चोटियां साफ-साफ दिखा‌ई पडती हैं। भारत की अनेक नदियां हिमालय से निकलती हैं। भारत के एक बहुत बडे भाग को इन नदियों ने हरा-भरा बना रखा है।

बाढ से हु‌ई बिहार मे क्षति

बाढ से हु‌ई बिहार मे क्षति
इस वर्ष बिहार में एक भयंकर बाढ आ‌ई । वन की हानि भी हु‌ई है। फसलें नष्ट हो ग‌ई और मवेशी बह ग‌ए । अनेक मकान गिर पडे। बाढ पीडितों की सहायता के लि‌ए अनेक संस्था‌एं तत्पर हो ग‌ईं। सर्वप्रथम बच्चों और स्त्रियों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया। बिहार में ऐसी बाढ कभी नहीं आ‌ई। हालांकि इस बाढ ने क‌ई नेता‌ओं की पोल खोल कर रख दी है, जिससे साफ पता चलता है कि किस तरह एक आम इन्सान प्राक्रतिक आपदा‌ओं में फंसा मदद के लि‌ए तरसता रहता है और को‌ई भी उसकी मदद को नही आता। जिस तरह बेचारे बाढ पीडित लोग परेशान हैं अपनों की तलाश में, भोजन की तलाश में की काश को‌ई आ‌ए और हमारी मदद करे।

मेरा भारत

मेरा भारत
भारत गावों का देश है। भारत की उन्नति उसके गांवों की उन्नति पर निर्भर करती है। गावों की उन्नति के लि‌ए यह आवश्यक है कि उसके निवासी पढे-लिखे हों शिक्षा के बिना मनुष्य अपने आपको भी ठीक से समझ नही सकता है। शिक्षा ही मनुष्य को पशु से अलग करती है। आज जितने देशों ने उन्नति की है, वह शिक्षा के ही कारन है। पूरे विश्व में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहां क‌ई तरह की बोलियां बोली जाती हैं।

संस्कॄत केन्द्र

संस्कॄत केन्द्र

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के संस्कॄत केन्द्र की बनावट स्वास्तिक के आकार की है यदि हम इसका विहंगम द्रष्य देखें तो ये साफ पता चलता है, यहां पर बहुत सारी संस्कॄत की पुस्तकों का हिंदी अनुवाद एवं उसे इंटरनेट से जोडकर पूरे दुनिया में प्रचार प्रसार किया जा रहा है। संस्कॄत के विकास के लि‌ए यह एक बहुत ही अहम भूमिका निभा रहा है।

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय का पुस्तकालय

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय का पुस्तकालय
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय का पुस्तकालय यहां के छात्रों के लि‌ए बहुत ही सुविधाजनक है यह रात में १२-३० बजे रात तक खुला रहता है तथा यहां पर छात्रों के लि‌ए २५० से ज्यादा कंप्यूटर इंटरनेट के साथ उपलब्ध हैं।