सर्वेभ्यो नमः....सभी को नमस्कार....
विगत वर्ष के अंतिम दिवस को यहां मैंने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी, उसके बाद पाणिनि बाबा के "अदर्शनं लोपः" सूत्र का प्रभाव हो गया था. आज सुबह कार्यालय आने के बाद हर दिन की तरह सबसे पहला काम "जीमेल को खोलना" किया तो लगभग तेरह के करीब अपठित मेल दिखे, जिसमें तीसरा मेल किसी राहुल जी का था, जिन्होंने यह मेल "आर्य युवक समूह" को भेजा था, जिसका मैं भी (चाहे/अनचाहे- इस शब्द का प्रयोग इसलिए कर रहा हूं कि शुरु में जब इस ग्रुप से मेल आने शुरु हुए तो वो मेरी मर्जी के बिना ही आते थे अर्थात् मैं कभी भी इनका मेंबर नहीं बना था, लेकिन शनैः-शनैः इनके इ-संदेशों में रुचि जागृत होने लगी) एक सदस्य हूं. अस्तु, इस इ-मेल की सामग्री मुझे रोचक लगी तो सोचा कि इसका हिंदी अनुवाद करके अपने ब्लॉग को भी थोड़ा अद्यतन कर दिया जाये. नीचे प्रस्तुत है उसी इ-मेल का अनुवाद.....
एक अमेरिकी भारत-भ्रमण करने के बाद जब वापस अमेरिका पहुंचा तो वहां पर उसके भारतीय मूल के मित्र ने उससे पूछा- "मेरा देश तुम्हे कैसा लगा?"
अमेरिकी ने कहा- "वाकई एक अद्भुत और महान देश!! जिसका अपना एक ठोस इतिहास व गौरवशाली परंपरा है, साथ ही जो प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है."
तब भारतीय मित्र ने पूछा- "तुम्हे भारतीय कैसे लगे??"
भारतीय??
कौन है भारतीय???
मैंने पूरे भारतवर्ष में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं पाया जो भारतीय हो.....
क्या बक रहे हो !!
तब भारत में जिन लोगों को तुमने देखा, वो कौन थे??
अमेरिकी ने कहा-
कश्मीर में मिला एक कश्मीरी से.
पंजाबी मिले मुझे पंजाब में.
आमची महाराष्ट्र बोल रहे थे मराठी मानुस.
बिहार, बंगाल, कर्नाटक में मिला मैं, बिहारी, बंगाली और कन्नडिगा से....
थोड़ा और पूछने पर,
पाया मैंने,
एक मुसलमान,
एक ईसाई,
एक जैन,
एक बौद्ध,
इसके अलावे और भी ना जाने कितने....
लेकिन नहीं मिला तो सिर्फ एक भारतीय से :(
(साभार:- दिवाकरस्य वार्त्ताः http://diwakarmani.blogspot.com/2009/02/blog-post.html ) Reply
(साभार:- दिवाकरस्य वार्त्ताः http://diwakarmani.blogspot.com/2009/02/
7 comments:
आपका हिन्दी चिट्ठाकारी में हार्दिक स्वागत है. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाऐं.
सही कहा उस पर्यटक ने. स्वागत.
ब्लाग जगत में आपका स्वागत है.
खूब लिखें,अच्छा लिखें...........
Nice post u r most welcome at my blog
kadva sach yahi hai, bharat me bhartiy rahte hee nahi. narayan narayan
क्या बात है सच्चिदानंद जी,
मेरे हिस्से की ्टिप्पणियों पर अपना हक जमा लिया ना!!
बहुत बदमाश है तू, खैर, कोई बात नहीं.
एक बात और, वर्ड वेरीफिकेशन का विकल्प हटा दो, ब्लॉगिंग की दुनिया में इसे इतना अनिवार्य नहीं माना जाता है.
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